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ऐ हुस्न तूँ जाग गयी
जब तुझे इश्क ने जगाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
दिल में जो बात थी
कोरे कागज पे आयी
ओठों ने भी कह डाला
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे अरमान को जगाया
प्यार से सहलाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आशा तो पहले से थी
जबाब देर से आया
आपने अपना बनाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपने कहा नमस्ते
मैंने सुना हँसते
जीवन में पहली बार बसंत है छाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे असुवन की बूंदें
नैनों की विरह
मेरे आँखों की भाषा को
आपने देर से समझा
फिर भी शुक्रिया S S S S शुक्रिया
उल्टा इलजाम मुझ पर
आपने है लगाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
पसन्द कर एक नाचीज को
आपने है किमती पत्थर बनाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
प्यार किया है आपने
आपने है इजहार किया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
प्यार को बकवास न कहो
खुदा ने यही बड़ी दौलत है दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
दिल की है ये निश्च्छल भावना
सबने इसका पूजा है किया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मैं तो हूँ एक प्यार का पुजारी
है आरजू यही करें कद्र आप भी
जैसा आपने है लिखा
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपकी ये भावना
मेरी ही है प्रतिध्वनि
इस फूल को आपने कड़ी धुप से है बचाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपने अपनी हँसी को
धीरे - धीरे मेरे ओठों पे घोल दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपके ओठों पे लटके शब्दों ने
मुझे उत्सुक बना दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे शब्दों के साँस के चोट को
तेरे गुलाबी चेहरे ने सह लिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
तुने चुपके से मेरे कानों में
'' मुझे तुमसे है प्यार '' कह दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
जब तुने अपने ओठों को
मेरे ओठों के बिच दिया
जलती ऊँगली से तुने छू दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
अपनी नशीली आँखों को
मेरे आँखों में डाल दिया
मुझे स्वप्निल संसार में भुला दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे भींगे ओठों पर
विहँस रही थी
उगते सूरज की लालिमा
उसे आपने छू दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आजकल मैं तेरे बाँहों में डोल रहा
तेरे मखमली गालों पे नाच रहा
मेरे छोटे संसार को इस कदर पकड़ लिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मैं छिपा कर रखूँगा चिन्ह
अगर आपके दाँतों ने मेरे गालों पे दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
कब आपके पलकों के निचे से
गुजरूँगा मैं
तपते ओठों ने जलते गर्दन ने
आमंत्रण है दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 22-08-1980
ऐ हुस्न तूँ जाग गयी
जब तुझे इश्क ने जगाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
दिल में जो बात थी
कोरे कागज पे आयी
ओठों ने भी कह डाला
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे अरमान को जगाया
प्यार से सहलाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आशा तो पहले से थी
जबाब देर से आया
आपने अपना बनाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपने कहा नमस्ते
मैंने सुना हँसते
जीवन में पहली बार बसंत है छाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे असुवन की बूंदें
नैनों की विरह
मेरे आँखों की भाषा को
आपने देर से समझा
फिर भी शुक्रिया S S S S शुक्रिया
उल्टा इलजाम मुझ पर
आपने है लगाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
पसन्द कर एक नाचीज को
आपने है किमती पत्थर बनाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
प्यार किया है आपने
आपने है इजहार किया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
प्यार को बकवास न कहो
खुदा ने यही बड़ी दौलत है दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
दिल की है ये निश्च्छल भावना
सबने इसका पूजा है किया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मैं तो हूँ एक प्यार का पुजारी
है आरजू यही करें कद्र आप भी
जैसा आपने है लिखा
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपकी ये भावना
मेरी ही है प्रतिध्वनि
इस फूल को आपने कड़ी धुप से है बचाया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपने अपनी हँसी को
धीरे - धीरे मेरे ओठों पे घोल दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आपके ओठों पे लटके शब्दों ने
मुझे उत्सुक बना दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे शब्दों के साँस के चोट को
तेरे गुलाबी चेहरे ने सह लिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
तुने चुपके से मेरे कानों में
'' मुझे तुमसे है प्यार '' कह दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
जब तुने अपने ओठों को
मेरे ओठों के बिच दिया
जलती ऊँगली से तुने छू दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
अपनी नशीली आँखों को
मेरे आँखों में डाल दिया
मुझे स्वप्निल संसार में भुला दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मेरे भींगे ओठों पर
विहँस रही थी
उगते सूरज की लालिमा
उसे आपने छू दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
आजकल मैं तेरे बाँहों में डोल रहा
तेरे मखमली गालों पे नाच रहा
मेरे छोटे संसार को इस कदर पकड़ लिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
मैं छिपा कर रखूँगा चिन्ह
अगर आपके दाँतों ने मेरे गालों पे दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया
कब आपके पलकों के निचे से
गुजरूँगा मैं
तपते ओठों ने जलते गर्दन ने
आमंत्रण है दिया
शुक्रिया S S S S शुक्रिया !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 22-08-1980
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