169 .
ख्वाबों की दुनियाँ
एक हम और एक तुम हैं
एक छोटा सा बंगला है
सामने समुद्र की लहरें हैं
और एक छोटी सी कार है
छोटी सी एक फुलवाड़ी है
जिसमें फूल हैं अनेक
थोड़ा सा बैंक बैलेंस है
घर में एक नौकर है
इस दुनियाँ का
मैं राजा और तूँ मेरी रानी है
अब
दृश्य बदलता है
किलकारियाँ गूँज उठती हैं
हम दो से तीन होते हैं
समय गुजरता चला जाता है
वो बढ़ता है खूब पढता है
होकर बड़ा अफसर बनता है
बालों से हम सफ़ेद हो रहे हैं
पर तुम उतनी ही सुन्दर हो
हमारे मिलन की
25वीं सालगिरह है
एक सुन्दर सी राजकुमारी आ गयी
अपने लड़के सुधाकर ने
किया बड़ा नाम है
हम दोनों का उसने
किया बड़ा नाम है
और अब दृश्य बदलता है
हम पोती को तुम पोते को
गोद में खिलाते हैं
अब आया वो भी समय
तुम ने मुझसे चिर विदा ले ली है
अगले जन्म में मिलने का वादा कर
और मैं इसी जन्म में
ना जाने कितनी बार मरता रहा
मेरे इस जीने से तो मौत ही भली है
अच्छा अब ये जीना लगता नहीं है
पर कैसी ये मज़बूरी है
मौत भी मिलती नहीं है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 11-11-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
168 .
जन्म लेना बनकर इन्सान
होता नहीं इतना आसान
बहुत सुकर्मों के उपरांत
पाता यह नर तन है
नारायण भी रहते हैं
जिसके लिए सदा तरसते
सबकुछ पाकर भी वे
दैहिक सुख नहीं पा सकते
पाकर इतना अनमोल धन
व्यर्थ करती हो कलुषित मन
भोगों की है यह नगरी
भोगोगे तुम भी आज ये वचन दो
आत्महत्या जैसी इक्षा
करते हैं बुजदिल इन्सान ही
हर आघातों को हँस कर
सहने से ही इन्सान बनता है महान
करो कल्पना हर पल
एक नए नूतन नव विहान की
हर पल उत्तमता की करो आशा
आशाओं पर ही है जिन्दगी इन्सान की
मुझे दे दो वो हँसी की फुलझड़ी
थी जो तूँ हर पल बिखेरती
मुझे दे दो वो नटखट युवती
जो थी चंचल शोख बड़ी
मुझे लौटा दो वो चुलबुल चितवन
जो थी तेरे चेहरे पर जड़ी
मुझ से करो जिद हर बात की
जो थी तेरी आदत पड़ी
मुझे लौटा दो वो युवती
जो थी हरदम हँसती हँसाती
दुःख थे जिसके ठोकरों में
लौटा दो मेरी वो चिर - परिचित
मेरी अपनी मेरी प्रीत
तोड़ दो उन बंधनों को
जो तेरी आत्मा का हनन करते
तोड़ दो उन बेड़ियों को
जो बेड़ी बन कर तुझे जकड़ते
भुला दो उन रिश्तों को
जो तेरे सत्य के आड़े आते
न कहने की नींव डालो
तुम इन्सान हो
तुम आजाद हो
अत्याचार के खिलाफ
आवाज दो आवाज दो
तुम आजाद हो
तुम इन्सान हो
तुम्हे अधिकार है
अपनी इक्षा के अनुकूल जीने का
तुम इन्सान हो
तुम आजाद हो
छेड़ो जेहाद
कसमों को न तोड़ने की
खाओ कसमे
तुम जिओगी अपने ढंग से
तुम इन्सान हो
तुम आजाद हो
हम आजाद हैं
हमें जीना है
हम इन्सान हैं
हम आजाद हैं
हमारी अपनी ख़ुशी है
हमारी अपनी जिन्दगी है
नाचेंगे गायेंगे
खुशियाँ मनायेंगे
हम इन्सान हैं
हम आजाद हैं
तुम आजाद हो
आओ आओ
बाहें पसारे
खुशहाली तेरे दर पे
है कब से खड़ी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 06-11-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
167 .
दो चार जख्म खाया हूँ
तो आज आठ - आठ आंसू बहाया हूँ
सोंचा था बहुत समझदार हूँ
तो आज मालुम हुआ
मैं बेहद कायर हूँ
गैरत ही जब नहीं पास मेरे
क्यों मुझ से प्यार किया ?
गर थी यह तेरी कोई मज़बूरी
तो जाओ तुम्हे आजाद किया
मैं सह लेता हूँ सब कुछ
पर अपनों के शब्द नहीं सह सकता हूँ
सह लेता तेरे थप्पड़ भी
जी लेता तेरे नफ़रत से भी
पर गर्व है तुझे जिन शब्दों पर
वो ही मैं सह नहीं सकता हूँ
जब स्वाभिमान ही नहीं पास मेरे
तो क्यों मुझ से प्यार किया
जाओ तुझे आजाद किया
जीने की आकाँक्षा
मर चुकी थी पहले ही
मिलकर तूने शायद
कुछ क्षण के लिए लौ बढाया
थी नहीं तमन्ना कोई
बनी भी तो अब दफ़न किया
इज्जत नहीं पास जिसके
क्यों मुझ से प्यार किया
थी गर कोई मज़बूरी
तो जाओ तुझे आजाद किया
एक बात समझ लो तुम भी
हर बिमारी की जड़ है गरीबी
और गरीबी से हूँ मैं त्रस्त
कभी भी हो सकता है
मेरे जीवन सूर्य का अस्त
फिर क्यों मुझ से प्यार किया
नहीं चूका पाऊँगा एहसान तेरा
जो ही क्षण तूने जिलाया
मत बहो कोरी भावना में
इस हेतु यथार्थ से परिचय करवाया
मेरे जिंदी मौत पे
मत कभी दुःखी होना
जो था मेरा वही तूने वापस किया
तुम अपने को वज्र कहती हो
पर मैं बहुत कोमल हूँ
मैं बहुत कुछ सह लेता हूँ
पर अपनों के शब्द नहीं सह पाता हूँ
मेरे जमीर को जगा कर
तूने बहुत बड़ा काम किया
कहता हूँ तेरे भले के लिए
मेरे हर लेख को मिटा दो
तेरे भविष्य के लिए
ऐसा न हो मैं काला धब्बा बन जाऊं
तेरे जमीर के लिए
जान बुझ कर पाँव में कुल्हारी मारना
तुझ जैसे समझदार को शोभा नहीं देता
जानकर यथार्थ को
मुझ जैसे को ठुकराना कोई पाप नहीं होगा
मुझे झुलस - झुलस कर जीने की आदत है
पर खुद को मत झुलसाओ
आजाद हो तुम
अपना नया संसार बनाओ
मुझ अभागे का आंसू पोंछकर
खुद क्यों आंसू पियोगी
कहना बहुत है आसान रहना भूखों
पर पेट की ज्वाला देती है झुलसा
सारी मान मर्यादा
फिर मैं क्यों अपनी अमावास से
दुसरे का उजाला छीनूँ
मैं जीता था पहले जैसे
वैसे ही अब जिऊंगा
फिर से हर पल
मौत से बातें करूँगा
निराशा और गम के साँसें भरूँगा
मज़बूरी और गरीबी का नाम जपूँगा
जिल्लत और दुत्कार से पेट भरूँगा
बसंत के दस साल गुजार लिए
बहुत कम काटने को है अब बचा
मरना तो है ही एक दिन
फिर क्यों एक पल भी
जीने की आशा करूँगा
तुम खुश रहो सदा
हर ख़ुशी है तुम्हारे लिए
छोड़ दो सारे गम आंसुओं को
हमारे लिए !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 01-11-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
166 .
आँचल से क्यों पार किया
मुझ परदेशी का प्यार
बसंत की कितनी रातें
आ रही हैं जा रही हैं
पर लगता है तुम न आ पाओगी
न मैं शायद आ पाऊंगा
किस आग में तूने झोंक दिया
न जल कर मैं मर पाया
न चैन से जी पाता
पर हर याद से फफोले उठ जाते हैं
रातों को ये रिसता है
यादों से जब रिश्ता जुटता है
अब कुछ तुम ही करो
कमल बन कर भौंरे को बंद कर लो
अब एक पल भी तेरे आगोश के बिना
जीना हो गया है दुश्वार
सब दीवारों को तोड़ कर
आओ हो जायें एक
दुनिया के उस पार
आओ बनायें एक नया संसार !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 28-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
165 .
उम्रभर जिन्होंने न मुझको समझा
आये हैं आज वो समझाने
गुलशन से दिल भर गया अपना
अब अच्छे लगते हैं विराने
अब अफसानों में दिल लगता नहीं अपना
कुछ थे ही ऐसे अपने फ़साने
हरपल हम उनको ढूंढते फिरते
कब मिले वो हमसे खुदा जाने
आये हैं वो पूछने हाल जरा
जब चले हैं लोग मुझे दफ़नाने !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 27-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
164 .
जितनी लिखी थी मुकद्दर में
हम उतनी जी लिए
अब तो है यही तमन्ना
मौत आ लगे गले
कह देना मेरा ये पैगाम
ओ चाँद सितारों
कह देना उनसे मेरा अंतिम सलाम
ओ चाँद सितारों
मैं छोड़ रहा हूँ जग को
ले के उनका ही नाम
ओ चाँद सितारों
कह देना उनसे मेरा अंतिम सलाम
ओ चाँद सितारों
तेरे ही रौशनी से
पहुँचे मेरे प्यार की किरण
ओ चाँद सितारों
रूह धड़क रहा है
लेकर उनका ही नाम
ओ चाँद सितारों
कह देना उनसे मेरा अंतिम सलाम
ओ चाँद सितारों
राह देखी बहुत मैंने उनकी
फिर भी न आया ख्याल उनको मेरा
छोड़ रहा हूँ याद में उनके ही
जग का ये अपना डेरा
कह देना उनसे मेरा अंतिम सलाम
ओ चाँद सितारों
मेरे गुजरने के बाद गर
आये उनको याद मेरी
दो आँसूं तुम भी बहा देना
ओ चाँद सितारों
तुम जानते हो
रातें मैंने कैसे गुजारी है
उनके मुबारक मौके पे
फूल बरसा देना
ओ चाँद सितारों
मैं जब न रहूँगा इस धरती पर
तुम ही उनके लिए दुआ करना
ओ चाँद सितारों
कह देना उनसे मेरा अंतिम सलाम
ओ चाँद सितारों !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 11-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से