157 .
कहूँ एक बात तुझे
देखा था जब तुझे
तभी दिल में लगी थी आग मुझे
तुमने झूठा प्यार किया
मैंने सच्चा मान लिया
अब तुझको न भुला पाऊंगा
ऐसा दिल कहाँ से लाऊंगा
ऐसा मैं निर्भीक नहीं
खुद ही तुझ से कुछ मांगूंगा
मैं बहुत भावुक हूँ
बिलकुल भोला हूँ
थोडा सा भी प्यार
बन जाती है अमृत
थोड़ी सी भी नाराजगी
बन जाती है जहर
तुझे इतना ही कहने में
मुझे प्यार है तुमसे
जान तुम्हारी जाती है
पर मेरे लिए
इतनी ही सी बात
मेरे जान पे बन जाती है
तुमने है सोंचा कभी
तुम्हारी ये हँसी
बदल जायेगी एक दिन
किसी के लिए तुम्हारी ये चितवन
होगी किसी और के लिए
तुम्हारी ये शोख अदायें
होगी किसी और के लिए
जिन हाथों से आज खिलाती हो मुझे
वो हाथ भी होंगे
कल किसी और के लिए
जिसने आज समझा है तुझे अपना
भूल जाओगी उन्हें ही
कल समझ कर एक सपना
न वादा लिया है तुझ से कभी
न इजहार किया है तुझ से कभी
पर अपना ये वादा रहा
भले ही तुम हो जावो बेवफा
पर मेरे दिल में तुम ही रहोगी सदा
तुमने ये सोंचा है कभी
तुम जब हो जाओगी किसी और की
देगा दुआयें दिल ये ख़ुशी के
अश्के नदामत में खुद को
डूबा के तब भी
इंतजार करूँगा अपनी ही मौत का
तुमने सोंचा है ये कभी
क्या चाहता हूँ मैं तुझ से कभी
कह दो एक बार इतना
मेरे तेरे प्यार में न है कोई कमी
ऊपर है आसमां
निचे है जमीं !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 29-09-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
कहूँ एक बात तुझे
देखा था जब तुझे
तभी दिल में लगी थी आग मुझे
तुमने झूठा प्यार किया
मैंने सच्चा मान लिया
अब तुझको न भुला पाऊंगा
ऐसा दिल कहाँ से लाऊंगा
ऐसा मैं निर्भीक नहीं
खुद ही तुझ से कुछ मांगूंगा
मैं बहुत भावुक हूँ
बिलकुल भोला हूँ
थोडा सा भी प्यार
बन जाती है अमृत
थोड़ी सी भी नाराजगी
बन जाती है जहर
तुझे इतना ही कहने में
मुझे प्यार है तुमसे
जान तुम्हारी जाती है
पर मेरे लिए
इतनी ही सी बात
मेरे जान पे बन जाती है
तुमने है सोंचा कभी
तुम्हारी ये हँसी
बदल जायेगी एक दिन
किसी के लिए तुम्हारी ये चितवन
होगी किसी और के लिए
तुम्हारी ये शोख अदायें
होगी किसी और के लिए
जिन हाथों से आज खिलाती हो मुझे
वो हाथ भी होंगे
कल किसी और के लिए
जिसने आज समझा है तुझे अपना
भूल जाओगी उन्हें ही
कल समझ कर एक सपना
न वादा लिया है तुझ से कभी
न इजहार किया है तुझ से कभी
पर अपना ये वादा रहा
भले ही तुम हो जावो बेवफा
पर मेरे दिल में तुम ही रहोगी सदा
तुमने ये सोंचा है कभी
तुम जब हो जाओगी किसी और की
देगा दुआयें दिल ये ख़ुशी के
अश्के नदामत में खुद को
डूबा के तब भी
इंतजार करूँगा अपनी ही मौत का
तुमने सोंचा है ये कभी
क्या चाहता हूँ मैं तुझ से कभी
कह दो एक बार इतना
मेरे तेरे प्यार में न है कोई कमी
ऊपर है आसमां
निचे है जमीं !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 29-09-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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