रविवार, 21 अक्टूबर 2012

160 . कोई बात आये

160 . 

कोई बात आये 
जो तेरी याद आये 
तो ख़ुशी मिलेगी मुझको कितनी 
तेरा नाम लेके 
कोई काम करके 
ख़ुशी मिलेगी मुझको कितनी 
चलो आओ 
शून्य में कहीं खो जाएँ 
ले चल अपनी किस्ती को 
कहीं मझधार के बीच में 
जहाँ न हो खेने की बात हमें 
लहरों के सहारे 
कहीं बढ़ चलेंगें 
हम एक दूजे में खो चलेंगें 
हमारे तुम्हारे सिवा 
न होगा कोई वहाँ 
ऐसा ही बनायेंगे 
हम एक जहाँ 
शब्दों की भाषा न होंगे जहाँ हमारे 
आँखों ही आँखों में 
समझेंगे एक दूजे के इशारे 
सांस से सांस जब टकराएगी 
दिल की हर धड़कन 
एक हो जायेगी 
मिट जाएगा तब 
युगों का ये भेद 
रह न पायेगा खुद में कोई विभेद 
कितने आयेंगे कितने जायेंगे 
हम दो शरीर 
एक प्राण हो जायेंगे 
नयनों की मादकता पियेंगें तब तक 
साँसें अपनी चलती रहेंगी जब तक 
कुछ न कह पाऊंगा तुमसे 
क्या है गम मुझे 
कोई बात आये 
जो तेरी याद आये 
तो ख़ुशी मिलेगी मुझको कितनी
तेरा नाम लेके 
कोई काम करके 
ख़ुशी मिलेगी मुझको कितनी
न नाप सकेगा 
कोई हमारे प्यार की गहराई 
न चढ़ सकेगा कोई 
अपने उमंगों की चढ़ाई 
चले आओ जो दिल तुम अपना थाम के 
आँखों में चाहत लिए 
ओठों पे हंसी ले के 
समझ सको तो समझो 
ख़ुशी मिलेगी मुझको कितनी !

सुधीर कुमार ' सवेरा '     06-10-1980  
चित्र गूगल के सौजन्य से    

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