153 .
दुनियाँ की है यही रीत
किसी घर रोना किसी घर गीत
किया जो तूने किसी से प्रीत
रोयेंगे आँखें आठों पहर
कोई न करेगा फिर भी चुप
रास्ता मुझे मालुम नहीं
चलना आता है मुझको
हर आग से हूँ वाकिफ़
जलना आता है मुझको
कल्पना के सहारे जिंदा था
साथ तेरा तो पाया नहीं
जग क्या सुनेगा फरियाद
तुंही जब सुनी नहीं
प्यारी चीज होती जब दूर
क्या होता है दर्द तब पूछो नहीं
कुछ भी न चाहा तुझसे मैंने
फिर भी दया तुझे नहीं
झूठी कल्पना जिन्दगी का सहारा
वह भी तूं दे पायी नहीं
पत्थर तोड़ने वाले
शीशा फोड़ने वाले
बेवफ़ाई करने वाले
दिल तोड़ने वाले
दर्द किसी का भी समझते नहीं
तेरा भी ये दोष नहीं
खुदा न करे कभी
तूँ ये भी समझे
ऐसे लगेगा जैसे
जग ही छूटे
कैसा होता है ये दर्द तूँ समझे
जब चाहती तूँ है यही
मैं न कहूँगा न कभी
सा सब कुछ तेरा
मैं ही तेरा
जीवन तेरा
सपना तेरा
कल्पना तेरी आत्मा तेरा
दिल दे तूँ अपना
मैं न कहूँगा फिर कभी
एक एहसान करना
बेवफ़ा के फेहरिस्त में
नाम तेरा लिख दूँ
ऐसा न कभी मुझको कहना !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 27-09-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
दुनियाँ की है यही रीत
किसी घर रोना किसी घर गीत
किया जो तूने किसी से प्रीत
रोयेंगे आँखें आठों पहर
कोई न करेगा फिर भी चुप
रास्ता मुझे मालुम नहीं
चलना आता है मुझको
हर आग से हूँ वाकिफ़
जलना आता है मुझको
कल्पना के सहारे जिंदा था
साथ तेरा तो पाया नहीं
जग क्या सुनेगा फरियाद
तुंही जब सुनी नहीं
प्यारी चीज होती जब दूर
क्या होता है दर्द तब पूछो नहीं
कुछ भी न चाहा तुझसे मैंने
फिर भी दया तुझे नहीं
झूठी कल्पना जिन्दगी का सहारा
वह भी तूं दे पायी नहीं
पत्थर तोड़ने वाले
शीशा फोड़ने वाले
बेवफ़ाई करने वाले
दिल तोड़ने वाले
दर्द किसी का भी समझते नहीं
तेरा भी ये दोष नहीं
खुदा न करे कभी
तूँ ये भी समझे
ऐसे लगेगा जैसे
जग ही छूटे
कैसा होता है ये दर्द तूँ समझे
जब चाहती तूँ है यही
मैं न कहूँगा न कभी
सा सब कुछ तेरा
मैं ही तेरा
जीवन तेरा
सपना तेरा
कल्पना तेरी आत्मा तेरा
दिल दे तूँ अपना
मैं न कहूँगा फिर कभी
एक एहसान करना
बेवफ़ा के फेहरिस्त में
नाम तेरा लिख दूँ
ऐसा न कभी मुझको कहना !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 27-09-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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