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अवसर जब भी मिला
हमें सम्हलने का
हम बेवकूफ होते चले गए
हमने अपना भाग्य खो दिया
हम कभी इतने उठ नहीं पाये
पकड़ना था मूल तत्व को
हम निर्जीव मूर्ति पकडे रह गए
आशा यही की
देव सब दुरुस्त करेंगे
परिणाम आज सामने है
हमने तिब्बत खोया
आजाद कश्मीर बना डाला
सीमा बनाने की
खुद की ताकत को
हम जंग लगा बैठे
चालीस सालों में भी
हम अपना कानून नहीं बना पाये
कुछ बड़ी बेकार चीजें
हमने जरूर सीखी
औरों के पीछे चलना
और नक़ल करना
हमारी विकाश प्रक्रिया
कुंठित हो गयी है
हम बुद्धिमान श्रेणी के हैं ?
जो बार - बार
एक ही गलती को दुहराते हैं
भूल से भी
राह में पड़े पत्थर पे
गर जो कोई फूल फेंक दे
जन्म जन्मांतर तक
हम पूजा करते चले जाते हैं
मूर्तिपूजक इस हद तक
हमें होना नहीं चाहिए
कि फासला मंजिल का
बस हो एक कदम का
और हम तय न कर पाएं !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
२९ - ११ - १९८६
अवसर जब भी मिला
हमें सम्हलने का
हम बेवकूफ होते चले गए
हमने अपना भाग्य खो दिया
हम कभी इतने उठ नहीं पाये
पकड़ना था मूल तत्व को
हम निर्जीव मूर्ति पकडे रह गए
आशा यही की
देव सब दुरुस्त करेंगे
परिणाम आज सामने है
हमने तिब्बत खोया
आजाद कश्मीर बना डाला
सीमा बनाने की
खुद की ताकत को
हम जंग लगा बैठे
चालीस सालों में भी
हम अपना कानून नहीं बना पाये
कुछ बड़ी बेकार चीजें
हमने जरूर सीखी
औरों के पीछे चलना
और नक़ल करना
हमारी विकाश प्रक्रिया
कुंठित हो गयी है
हम बुद्धिमान श्रेणी के हैं ?
जो बार - बार
एक ही गलती को दुहराते हैं
भूल से भी
राह में पड़े पत्थर पे
गर जो कोई फूल फेंक दे
जन्म जन्मांतर तक
हम पूजा करते चले जाते हैं
मूर्तिपूजक इस हद तक
हमें होना नहीं चाहिए
कि फासला मंजिल का
बस हो एक कदम का
और हम तय न कर पाएं !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
२९ - ११ - १९८६
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