ADHURI KAVITA SMRITI
शनिवार, 25 अप्रैल 2015
459 . माँ का नाम लेते ही
४५९
माँ का नाम लेते ही
भय मिटा शंका निर्मूल हुई
चिंता सर्वदा के लिए नष्ट समूल भयी
खोता जब यह विश्वास मनुष्य
हो जाता वह अनाथ असहाय
कर इतनी वह अपार मूर्खता
हो गया हूँ मैं बुद्धिमान
कह - कह इतराता मनुष्य !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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