ADHURI KAVITA SMRITI
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
453 . मैं कौन ?
४५३
मैं कौन ?
जरा सोंचो
नश्वर शरीर
हड्डी मांस
चर्म का थैला
बहुत घृणित
बेहद मैला
व्यर्थ मोह
क्योंकर भला !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें