ADHURI KAVITA SMRITI
रविवार, 19 अप्रैल 2015
451 . अपने दर्प को
४५१
अपने दर्प को
दर्पण में देखा
दर्पण ने कहा
मैं हूँ ऐसा
मैं हूँ वैसा
मेरा है यह
रोयेंगे दिन चार
कौन गया साथ
कहो मेरे यार !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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