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श्रीचण्डी
नमों नमों चण्डी चरणयुग तोर। तोरित दुरित हर दिहै अभय वर।
कट कट दसन रसन लह - लह कर। खड़गे खण्डी चण्डी रुहिर खपर भर।
हेर जोह खोह करि धरए तुरए सुरि। मुह मेलए रुहि घट घट घोट करि।
लखनचन्द राय करए तुअ भगवति। देहे अभय वर निज पदयुग रति।
( प्राचीन गीत ) लखनचन्द
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