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श्रीदुर्गा
जय जय दुर्गे दुर्गति हारिनि , सब सिद्धिकारिनी देवी।
भुगुति मुकुति दुहु बिनु पाविअ तुअ पद पंकज सेवी।।
विष्णु विरचि विभावसु वासव शिव तुअ धरए धेयाने।
आदि - सकति भव भाविनि केओ न अन्त तुअ जाने।।
तनु अति सुन्दर मरकत मनि जनि तीनि नयन भुज चारी।
शंख चक्र - शर कर तनु धारिनि शशिशेखर अनुसारी।।
मणिमय कुण्डल हार मनोहर नूपुर घन घन बाजे।
किकिन रन रन सुललित कंकण भूषण विविध विराजे।।
पञ्चानन - वाहिनि दाहिनि होइ सुमरि महेश - विमोही।
सदानन्द कह चरण - युगल तुअ सरन कएल जग जोही।।
( प्राचीन गीत ) सदानन्द
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