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श्रीजयमंगला
जयमंगला जयमंगला। होह परसनि देवि तोरितबला।।
मधुकैटभ महिषासुर अतिबल धूम्रलोचन खयकारी।
शुम्भ निशुम्भ देव - कंटक रन खनहि महाबल देल बिदारी।।
जइसे सुरगण देलह अभयवर सकल असुरगन मारी।
तइसे आस पुरह जगमाता रिपुगण हलहु सँभारौ।।
जे अभिमत कए जे नर चिन्तए से नर से फल पाबे।
सर्व काज सिंध करह भवानी कवि चतुरानन गावे।।
( प्राचीन गीत ) चतुरानन
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