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भगवती
जय जय भगवती जय जगदम्बे। तव पद मोर परम हित लम्बे।।
करतलकृत करवाल विशाले। नव शशि भूषित सुललित भाले।।
समर समित रिपु निकर कराले। चण्ड मुण्ड खण्डन जयमाले।।
भुजगविभूषित लोहित वसने। विकट दशन लम्बित वर रसने।।
सजल जलद इव पूरित तारे। वहसि कलित शत मणिमय हारे।।
सुकवि गणक इह गायति गीत। तब चरणे मानसमुपनीत।।
( श्रीकृष्ण जन्म रहस्य ) श्रीकान्तगणक
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