३०३ .
खुदा तन्हा , आसमान तन्हा
क्यों न हों हम तन्हा
कौन है किसका यहाँ
कब हुआ किसका ये जहां
सूरज तन्हा , चांद तन्हा
हर सख्श का
हर खयाल है तन्हा
मौन तन्हा अविव्यक्ति तन्हा
मौत तन्हा जन्म तन्हा
तन्हा कलम की हर कविता है तन्हा
हुई जिंदगी की राह तन्हा |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ३० - ०६ - १९८४
कोलकाता ११-४५ pm
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