ADHURI KAVITA SMRITI
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014
304 .तुम पास इतने आके
३०४ .
तुम पास इतने आके
मुझ मे इतनी समा के
इस कदर तुम छोड़ जाओगी
सोंच नहीं पाया ' सवेरा '
सुबह होने से पहले ही
बदरी यूं ही छा जायेगी |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०३ - ०७ - १९८४
कोलकाता ५ - ५ pm
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