ADHURI KAVITA SMRITI
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014
307 .एहसास विहीन जीवन भी सुखमय होता
३०७ .
एहसास विहीन जीवन भी सुखमय होता
तो एहसास न किसी का रखता
लेकर एहसास तटस्थ जीवन बिताना
बहुत आनंददायक जरूर होगा |
०८ - ०९ - १९८४ ४ - ४३ pm
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें