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मेरे खुरदुरे विचारों ने
भविष्य के भुवन पर
नक्काशी रचे
मेर कामनातीत पुतलियों ने
स्व को भुला दिया
पल - पल
मेरे मरने की प्रक्रिया
अबाध चलती रही
हर पल की मौत
मेरे नए जीवन की
साँसें हैं
सिद्धांत वही रहते
पर अर्थ बदल जाते
और मेरे ही लोचनो पर
आत्मा मेरी विद्रूप करती
आत्मा की हर परत पर
एक नयी परत डालती है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १७ - ०४ - १९८४ २ - ०० pm
मेरे खुरदुरे विचारों ने
भविष्य के भुवन पर
नक्काशी रचे
मेर कामनातीत पुतलियों ने
स्व को भुला दिया
पल - पल
मेरे मरने की प्रक्रिया
अबाध चलती रही
हर पल की मौत
मेरे नए जीवन की
साँसें हैं
सिद्धांत वही रहते
पर अर्थ बदल जाते
और मेरे ही लोचनो पर
आत्मा मेरी विद्रूप करती
आत्मा की हर परत पर
एक नयी परत डालती है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १७ - ०४ - १९८४ २ - ०० pm
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