शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014

308 . हे माँ विपत्ती मे मेरी रक्षा करो

३०८ .

हे माँ विपत्ती मे मेरी रक्षा करो 

ऐसी शक्ति दो की मैं विपदा से न डरूँ

अगर तुम ने दुख ताप से व्यथित चित मे 

सांत्वना न दी तो कोई बात नहीं 

लेकिन ऐसा करो की मैं दुख पर विजय पा सकूं 

यदि मेरा कोई सहाय न मिले 

तो इतना ही हो की मेरा अपना बल न टूटने पाये 

अगर मेरे संसार का कुच्छ नुकसान हो जाये 

मैं केवल वंचना ही पाऊँ  

तो भी ऐसा हो की मैं अपने मन मे क्षीणता न
 मानूं 
तुम मुझे बचाओ 

यह मेरी प्रार्थना नहीं है 

केवल इतनी शक्ति दो की मैं तैर सकूं 

कोई बात नहीं अगर तुमने मेरा भार हल्का

  करके 

सांत्वना न दी 

केवल ऐसा ही हो की मैं दस भर को ढो सकूं 

सुख के दिनो मे सिर झुका कर तुम्हारा मुंह

पहचान लूंगा 


लेकिन दुख की रात मैं 

जिस दिन सारी पृथ्वी मुझे वंचना कह रही हो 

उस दिन ऐसा हो की तुम्हारे उपर संदेह न करूं 

बस इतनी ही तो अपेक्षा है |


सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०८ - ०९ - १९८४ 

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