३११ .
एक बार फिर से
तेरे दर पे आ के खुद से
खुद को जिंदा जला लिया
अपने ही जख्मों को
स्वंय कुरेद कर
फिर से हरा कर लिया
गम को पी पी कर
स्वंय को है गला लिया
तूने तो बेवफाई कर भी
खुद को है बसा लिया
अपने घर को है संवार लिया
मैं ही एक नासमझ
तुझ से वफा कर भी
खुद को उजाड़ लिया
गम को पी पी कर
खुद को गंवा लिया
तेरे दर पे आ कर
फिर से एक बार
अपने जख्मों पे
नमक है छिड़क लिया |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २५ - ०२ - १९८४
१-०५ am
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें