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जवानो के जवानी का जवाब नहीं
क्या - क्या पीते हैं इसका हिसाब नहीं
जहर भी है और जाम भी है
पीने को सुबह और शाम भी है
दिन दुपहरिया रात भी है
पी - पी कर मद के प्याले मदहोश हैं
ख़रीदे हुए गम से गमगीन होकर
अब कहते हैं गम गलत करते हैं
दौलत और जवानी
एक आग एक नादानी
हुस्न और जाम
एक तलवार दूजा धार
एक जहर एक साँप
सुबह और शाम
जाम ही जाम
क्यों नहीं लेते सभी
राम का नाम
ये है विक्टोरिया मेमोरियल हाउस
जहाँ बुझती नहीं कभी भी किसी की प्यास
एक को दौलत की चाह
दूसरे की बुझी जवानी की प्यास
नाम ही नाम
हर घड़ी हर साँस
लेते हैं सभी बस
दौलत और हुस्न का जाम
जो नहीं ले पाते हैं
घुट - घुट कर मर जाते हैं
राम राम राम !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २९ - ०४ - १९८४ कोलकाता
४ - ४० pm
जवानो के जवानी का जवाब नहीं
क्या - क्या पीते हैं इसका हिसाब नहीं
जहर भी है और जाम भी है
पीने को सुबह और शाम भी है
दिन दुपहरिया रात भी है
पी - पी कर मद के प्याले मदहोश हैं
ख़रीदे हुए गम से गमगीन होकर
अब कहते हैं गम गलत करते हैं
दौलत और जवानी
एक आग एक नादानी
हुस्न और जाम
एक तलवार दूजा धार
एक जहर एक साँप
सुबह और शाम
जाम ही जाम
क्यों नहीं लेते सभी
राम का नाम
ये है विक्टोरिया मेमोरियल हाउस
जहाँ बुझती नहीं कभी भी किसी की प्यास
एक को दौलत की चाह
दूसरे की बुझी जवानी की प्यास
नाम ही नाम
हर घड़ी हर साँस
लेते हैं सभी बस
दौलत और हुस्न का जाम
जो नहीं ले पाते हैं
घुट - घुट कर मर जाते हैं
राम राम राम !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २९ - ०४ - १९८४ कोलकाता
४ - ४० pm
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