३२८
वो कैसी एक आग थी
जो हमको जला गयी
खुद तो चुप ही रहे
हमको रुला दिया
हंसने की हर चाह ने
ओठों को जला दिया
अच्छी तरह हम जले भी न थे
तुमने बुझा दिया
हवाएँ बनी फर्जमंद मेरी
तूने धुँआ उठा दिया
हमने किसी की याद में
देखो जीवन जला दिया
छुए भी न थे नगमो को तेरे
अभी कानो ने मेरे
तूने नगमा ही भुला दिया
आ s s s लग जा गले
रात कहीं यूँ ही न ढले
आ ये हैं बाँहों के घेरे
लग जा सीने से मेरे
आ मैं कर दूँ बंद आँखों से आँखे
आ मैं ढक दूँ ओठों से ओठ
हो जाओ बस चुप ही चुप
कहने दो बस धड़कनो को तुम
खो के भी तुम खो न पाओ
दूर कभी भी मुझ से न जाओ
मैं बस यूँ ही जलता रहूँ सदा
बस तुम करो एक यही दुआ !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
वो कैसी एक आग थी
जो हमको जला गयी
खुद तो चुप ही रहे
हमको रुला दिया
हंसने की हर चाह ने
ओठों को जला दिया
अच्छी तरह हम जले भी न थे
तुमने बुझा दिया
हवाएँ बनी फर्जमंद मेरी
तूने धुँआ उठा दिया
हमने किसी की याद में
देखो जीवन जला दिया
छुए भी न थे नगमो को तेरे
अभी कानो ने मेरे
तूने नगमा ही भुला दिया
आ s s s लग जा गले
रात कहीं यूँ ही न ढले
आ ये हैं बाँहों के घेरे
लग जा सीने से मेरे
आ मैं कर दूँ बंद आँखों से आँखे
आ मैं ढक दूँ ओठों से ओठ
हो जाओ बस चुप ही चुप
कहने दो बस धड़कनो को तुम
खो के भी तुम खो न पाओ
दूर कभी भी मुझ से न जाओ
मैं बस यूँ ही जलता रहूँ सदा
बस तुम करो एक यही दुआ !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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