कुछ न कुछ तो अब चमत्कार होना चाहिए
फैसला इस पार या कि उस पार होना चाहिए
सड़ी गली इस व्यवस्था का तिरस्कार होना चाहिए
संगठित होकर एक स्वर से ललकार होना चाहिए
सुबह और शाम कि दिन या रात बीते नहीं इस तरह अब
नर या नारी अमीर या गरीब सबों की तरफ से एक हुंकार होना चाहिए
कृष्ण ने सुना दिए अपने सारे कर्म योग
अब अर्जुन के गाण्डीव पर तीर और कमान होना चाहिए
बेबकूफ और कायर बनकर सहते रहना नहीं सिखलाया पूर्वजों ने
वहीँ का वहीँ जस का तस प्रतिकार होना चाहिए
मुख से ही केवल बने रहना वीर
शोभा नहीं देता भरत पुत्रों को
मिलता नहीं जीवन में अधिकार बिना संघर्ष के
जन गण में इस ज्ञान और वीरता का संचार होना चाहिए
संविधान की भावना के तहत हो सबों से एक सा व्यवहार
तख़्त और ताज को यह बात अच्छी तरह से समझा देना चाहिए
छोटा बड़ा ऊँच नीच का भेद समाप्त कर
वोट बैंक के व्यापार को ख़त्म करना चाहिए
वर्ष अनेकों बीत गए पर स्वतंत्र नहीं काहू
CBI , सीवीसी , EC , पर से तलवार हटनी चाहिए
कहने को तो बातें हैं बहुत पर सुनने वाला कान होना चाहिए
संक्षेप में यही की आम अवाम का उद्धार होना चाहिए !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २४ - ०८ - २०१२
१० - ३६ am
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