यादें
( धर्म पत्नी जी बिटिया एवं बेटे उज्जवल सुमित दिवाली की तैयारी में )
५४४
गुलाम थे पर ईमान था
आजाद हुए और बेईमान हो गए
गद्दारों ने ही गुलाम बनाया था
हो कर आजाद बेच रहे सब कुछ
पूरी आजादी से जो कुछ अपना था
जमीन बेच रहे खनिज बेच रहे
इंसान बेच रहे ईमान बेच रहे
ऐ खरीदारों आओ हम वतन बेच रहे
गरीब बेच रहे मजदुर बेच रहे
आम अवाम किसान बेच रहे !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०५ - १२ - २०१२
०८ - १५ pm
फिर इतने भ्रष्टाचार का क्या है कारण
बस इतना ही कि मनुष्य चुनने का
आजतक नहीं कर पाये नवजागरण !
०१ - १२ - २०१२
०६ - ५० pm
दुःख दर्द के साये में कट रही है जिंदगी ऐसे
जैसे हों ठूंठ बरगद के कोटरे में अपना आशियाँ !
०३ - १२ - २०१२
०९ - १५ am
जहाँ ठोस सबूतों और स्व स्वीकृति पर भी
किसी देशद्रोही आतंकवादी निर्मम हत्यारे को भी
सजा देने में लग जाते हों वर्षों वर्ष
वहां हम उम्मीद लगाये बैठे हैं
भ्रष्ट नेताओं को इसी जन्म में मिलेगी सजा यार !
जो सरकार एक ईमानदार I R S को भी
कहती हो बार - बार गन्दी नाली का कीड़ा
सोंचो जरा वहां यारों
एक आम गरीब आदमी के लिए होगा कौन सा विशेषण धरा ?
दुःख दर्द के निर्मम थपेड़ों ने
छिन्न भिन्न कर डाली मेरी सौम्यता ! ४ - १२ - २०१२
१० - ०० am
दोस्त बनाकर अपना आपने जो दिया सम्मान
जानकर हजार मेरी बुराईयाँ छोड़ न देना मेरा साथ !
राष्ट्र का सम्मान हो कैसे राष्ट्र भाषा का करके अपमान
राष्ट्रिय पंचायत में विदेशी भाषा का कर रहे सम्मान !
०५ - १२ - २०१२
विदेशी भाषा से खोज रहे हम अपना राष्ट्रिय समाधान
जानत नहीं जिसे आम अवाम गरीब मजदुर और किसान !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
( धर्म पत्नी जी बिटिया एवं बेटे उज्जवल सुमित दिवाली की तैयारी में )
५४४
गुलाम थे पर ईमान था
आजाद हुए और बेईमान हो गए
गद्दारों ने ही गुलाम बनाया था
हो कर आजाद बेच रहे सब कुछ
पूरी आजादी से जो कुछ अपना था
जमीन बेच रहे खनिज बेच रहे
इंसान बेच रहे ईमान बेच रहे
ऐ खरीदारों आओ हम वतन बेच रहे
गरीब बेच रहे मजदुर बेच रहे
आम अवाम किसान बेच रहे !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०५ - १२ - २०१२
०८ - १५ pm
फिर इतने भ्रष्टाचार का क्या है कारण
बस इतना ही कि मनुष्य चुनने का
आजतक नहीं कर पाये नवजागरण !
०१ - १२ - २०१२
०६ - ५० pm
दुःख दर्द के साये में कट रही है जिंदगी ऐसे
जैसे हों ठूंठ बरगद के कोटरे में अपना आशियाँ !
०३ - १२ - २०१२
०९ - १५ am
जहाँ ठोस सबूतों और स्व स्वीकृति पर भी
किसी देशद्रोही आतंकवादी निर्मम हत्यारे को भी
सजा देने में लग जाते हों वर्षों वर्ष
वहां हम उम्मीद लगाये बैठे हैं
भ्रष्ट नेताओं को इसी जन्म में मिलेगी सजा यार !
जो सरकार एक ईमानदार I R S को भी
कहती हो बार - बार गन्दी नाली का कीड़ा
सोंचो जरा वहां यारों
एक आम गरीब आदमी के लिए होगा कौन सा विशेषण धरा ?
दुःख दर्द के निर्मम थपेड़ों ने
छिन्न भिन्न कर डाली मेरी सौम्यता ! ४ - १२ - २०१२
१० - ०० am
दोस्त बनाकर अपना आपने जो दिया सम्मान
जानकर हजार मेरी बुराईयाँ छोड़ न देना मेरा साथ !
राष्ट्र का सम्मान हो कैसे राष्ट्र भाषा का करके अपमान
राष्ट्रिय पंचायत में विदेशी भाषा का कर रहे सम्मान !
०५ - १२ - २०१२
विदेशी भाषा से खोज रहे हम अपना राष्ट्रिय समाधान
जानत नहीं जिसे आम अवाम गरीब मजदुर और किसान !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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