यादें
( बेटा उज्जवल सुमित छठ पूजा के अवसर पर )
५४५
पूछते हो हम व्यवस्था विरोधी हैं
तो हैं हम व्यवस्था विरोधी हैं
पूछते हो क्या संविधान में भरोसा नहीं
तो है हमें संविधान में पूरा भरोसा है
भरोसा नहीं है तो उसके आड़ में तुम्हारी अव्यवस्था पर
तुम्हे तो इतनी सुविधा मिल गयी है न्यारी
कि जाकर अमेरिका के वालमार्ट से भी
खरीदारी कर लो तुम सारी
पर देखा भी है कभी गरीबी और ग़ुरबत
कैसे जिन्दा हैं तेरे शोषण के कारण
वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा नहीं चलेगा
एक विशाल गरीब भारत तूने पैदा कर दिया
वो फ़ौज गरीबी की बढ़ी तो छिपने की भी जगह नहीं मिलेगी
हो जाओ तैयार गरीबों ने अब पाञ्चजन्य शंख फूंक दिया
भ्रष्टाचार के तवे पर रोटी सेंक मकान बनवा दिया
ठिकाने का इंतजाम नहीं जिंदगी भर की पूंजी और आशियाँ उजाड़ दिया
शोर है बहुत कि कुछ करोड़ों में हो गया सौदा
हम ऐसे बने सौदा कि बहुत सस्ते में बिक गए
सौदागर ही निकले अपनों से कुछ भले
कुछ तो मोल लगाया उन्होंने
अपने नेता तो बेमोल ही बेच डाला दे के धोखा
पहले
साईं इतना दीजिये जा में कुटुंब समाये
मैं भी भूखा ना रहूँ साधू भूखा न जाये
अब
साईं इतना दीजिये जा में टाटा अम्बानी समाये
मैं राजा बन जाऊं बाँकी सब भूखो मर जाये !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ३१ - १२ - २०१२
१० - ३५ pm
( बेटा उज्जवल सुमित छठ पूजा के अवसर पर )
५४५
पूछते हो हम व्यवस्था विरोधी हैं
तो हैं हम व्यवस्था विरोधी हैं
पूछते हो क्या संविधान में भरोसा नहीं
तो है हमें संविधान में पूरा भरोसा है
भरोसा नहीं है तो उसके आड़ में तुम्हारी अव्यवस्था पर
तुम्हे तो इतनी सुविधा मिल गयी है न्यारी
कि जाकर अमेरिका के वालमार्ट से भी
खरीदारी कर लो तुम सारी
पर देखा भी है कभी गरीबी और ग़ुरबत
कैसे जिन्दा हैं तेरे शोषण के कारण
वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा नहीं चलेगा
एक विशाल गरीब भारत तूने पैदा कर दिया
वो फ़ौज गरीबी की बढ़ी तो छिपने की भी जगह नहीं मिलेगी
हो जाओ तैयार गरीबों ने अब पाञ्चजन्य शंख फूंक दिया
भ्रष्टाचार के तवे पर रोटी सेंक मकान बनवा दिया
ठिकाने का इंतजाम नहीं जिंदगी भर की पूंजी और आशियाँ उजाड़ दिया
शोर है बहुत कि कुछ करोड़ों में हो गया सौदा
हम ऐसे बने सौदा कि बहुत सस्ते में बिक गए
सौदागर ही निकले अपनों से कुछ भले
कुछ तो मोल लगाया उन्होंने
अपने नेता तो बेमोल ही बेच डाला दे के धोखा
पहले
साईं इतना दीजिये जा में कुटुंब समाये
मैं भी भूखा ना रहूँ साधू भूखा न जाये
अब
साईं इतना दीजिये जा में टाटा अम्बानी समाये
मैं राजा बन जाऊं बाँकी सब भूखो मर जाये !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ३१ - १२ - २०१२
१० - ३५ pm
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें