सोमवार, 24 अगस्त 2015

543 . नव चेतना नव विहान

                                     यादें 
     ( बेटे उज्जवल सुमित दिवाली की तैयारी में )
५४३ 
नव चेतना नव विहान
कितना कहें कितना समझाएं 
आपको अपना जान
जानत सकल जहान 
पकड़ ईमानदारी का पथ 
करें भविष्य निर्माण 
लूट रहे मिल लूटेरे हमको 
सबक ईमानदारी का समझाओ उनको 
बैठे - बैठे दिन रेन बीते अनेकों 
कमजोड़ जानकर ही वे सताते हैं हमको 
दौलत कुर्सी के भूखे भेड़ियों 
कौड़ियों के मोल समझाने आ रहे आपको 
घड़ा पाप का छल छला रहा 
हैवानियत सीमा पार जा रहा 
भीड़ ही नहीं केवल बदलते सूरत 
घड़ बैठे भी लेंगे तेरी खैरियत 
बस आपस में नहीं है लड़ना झगड़ना 
अपनी भावनाओं से मत उनको खेलने देना 
धरना प्रदर्शन आन्दोलनों का दौड़ 
बस यूँ ही चलता रहे हर ओर 
क्रांति की धार न पड़े मध्यम 
बांकी इतिहास बदलने में हम हैं सक्षम 
बस इतना रहे ध्यान 
हो जिसका शुद्ध विचार 
हो निष्कलंक जीवन 
हो मन में अपार त्याग 
हो रखता अपमान सहने की शक्ति अपार 
बस ऐसे ही व्यक्ति का रखें ध्यान 
जो बनाये लोकतंत्र की अगली सरकार !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' २९ - ११ - २०१२ 
७ - ५७ pm   

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