यादें
( बेटे उज्जवल सुमित का जन्म दिन )
५३७
आज भी देखा सुना गजब तमाशा
सत्ता का भी एक अजीब नशा
एक मंत्री बोली आप इतने भी नहीं गरीब
दे नहीं सकते चार सौ के बदले नौ सौ हुजूर
उनके ही एक माननीय सांसद
टॉल टैक्स के कुछ रुपये देने न पड़े
वास्ते इसके धमकाया डराया बन्दुक दिखाया
वो थे सक्षम तो ये तमाशा कर डाला
जिस जनता के पेट लगी हो आग
वो फिर क्या कर गुजरे
इसका एक बार भी ख्याल न आया
एक मंत्री हड़प कर अपाहिजों का सहारा
जनता को ही कहते गंदे नाली का कीड़ा मकौड़ा
एक मंत्री कहीं सी एम ओ का ही अपहरण कर लेते
अब बताओ भला कैसे लोकतंत्र की बात बने
भ्रष्टाचारी नेता कानून बनाये
गरीब असहाय लूटते देखता रह जाये
आखिर कब तक कब तक
नित्य ये हादसे पे हादसे होते रहें
हम कम्बल में मुंह ढांप कर सोते रहें !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १२ - १० - २०१२
७ - ४० pm
( बेटे उज्जवल सुमित का जन्म दिन )
५३७
आज भी देखा सुना गजब तमाशा
सत्ता का भी एक अजीब नशा
एक मंत्री बोली आप इतने भी नहीं गरीब
दे नहीं सकते चार सौ के बदले नौ सौ हुजूर
उनके ही एक माननीय सांसद
टॉल टैक्स के कुछ रुपये देने न पड़े
वास्ते इसके धमकाया डराया बन्दुक दिखाया
वो थे सक्षम तो ये तमाशा कर डाला
जिस जनता के पेट लगी हो आग
वो फिर क्या कर गुजरे
इसका एक बार भी ख्याल न आया
एक मंत्री हड़प कर अपाहिजों का सहारा
जनता को ही कहते गंदे नाली का कीड़ा मकौड़ा
एक मंत्री कहीं सी एम ओ का ही अपहरण कर लेते
अब बताओ भला कैसे लोकतंत्र की बात बने
भ्रष्टाचारी नेता कानून बनाये
गरीब असहाय लूटते देखता रह जाये
आखिर कब तक कब तक
नित्य ये हादसे पे हादसे होते रहें
हम कम्बल में मुंह ढांप कर सोते रहें !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १२ - १० - २०१२
७ - ४० pm
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