यादें
( मैं और सुधा उनके बच्चे के जनमोत्स्व पर )
५३०
मैं हूँ मन मोहन
मैं कितना बड़ा हूँ बेशर्म
मन तो मोह न पाया जनता का
तन मन धन से हूँ मैडम जी का
तीनो लोकों में है लूट मचाया
जल थल नभ
धरती पाताल आकाश कांपते
हर तरफ हमारी लुटेरी सेना ही है नाचती
कुपात्रों को अपनी कीमती वोट देने की सजा
आखिर जनता कब तक भोगे
देर हुई बहुत अब तो सोयी जनता जागे
वर्ना वर्षों तक रोते रहेंगे हम अभागे
एक था शौरी भूल भी गए होंगे सारे
वर्षों से फिर रहे थे मारे - मारे
NDA की जिसने लुटिया थी डूबाई
विनिवेश मंत्री बनकर कौड़ियों में पीएसयू बेचवाई
अचानक कुंडली उनकी है फिर जागी
सुर में सुर मिला रहे हैं
घूम घूम कर हमें बता रहे हैं
एफडीआई से सोये भाग्य जागेंगे
इससे ही गरीबी दूर भगाएंगे
मिलकर सारे कसम खाइये
उसके साथ - साथ
इन्हे भी हजम कर जाइए !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २५ - ०९ - २०१२
८-- ०९ pm
( मैं और सुधा उनके बच्चे के जनमोत्स्व पर )
५३०
मैं हूँ मन मोहन
मैं कितना बड़ा हूँ बेशर्म
मन तो मोह न पाया जनता का
तन मन धन से हूँ मैडम जी का
तीनो लोकों में है लूट मचाया
जल थल नभ
धरती पाताल आकाश कांपते
हर तरफ हमारी लुटेरी सेना ही है नाचती
कुपात्रों को अपनी कीमती वोट देने की सजा
आखिर जनता कब तक भोगे
देर हुई बहुत अब तो सोयी जनता जागे
वर्ना वर्षों तक रोते रहेंगे हम अभागे
एक था शौरी भूल भी गए होंगे सारे
वर्षों से फिर रहे थे मारे - मारे
NDA की जिसने लुटिया थी डूबाई
विनिवेश मंत्री बनकर कौड़ियों में पीएसयू बेचवाई
अचानक कुंडली उनकी है फिर जागी
सुर में सुर मिला रहे हैं
घूम घूम कर हमें बता रहे हैं
एफडीआई से सोये भाग्य जागेंगे
इससे ही गरीबी दूर भगाएंगे
मिलकर सारे कसम खाइये
उसके साथ - साथ
इन्हे भी हजम कर जाइए !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २५ - ०९ - २०१२
८-- ०९ pm
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