यादें
( बेटे उज्जवल सुमित का जन्मदिन )
५३४
अरे भाई इतना हंगामा क्यों है बरपा
मैं हूँ वो दामाद जिसकी सास है खास
बिना कुछ किये दुनिया की है चौथी बड़ी हस्ती
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर क्यों बरपा
इस लोकतंत्र में जहाँ चारों ओर
जर्रे - जर्रे में भ्रष्टाचार ही बना जब शिष्टाचार
साहब के चपरासी को भी खुश कर
बनते जहाँ हैं बड़े - बड़े काम वहां मैं तो फिर भी हूँ सरकारी दामाद
जिधर फेड दूँ नजर वही हो जाये माला माल
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर क्यों बरपा
मैं नहीं हूँ कोई नेता या मंत्री
पर देखो ससुरों ने मेरे लिए
कितना गला फाड़ा की कितनी थेथरई
ना जाने दुनिया को क्यों लगी मिर्ची
उदारीकरण में इस निजीकरण में
सरकार है कितनी मेहरबान
जंगल जमीन वाले हैं मर रहे
मेरे जैसा दामाद बैठे - बैठे है मलाई मार रहा
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर है क्यों बरपा
तुम लोगों के लिए मैंने हवा है छोड़ी
क्या यह कम है तेरे जीने के लिए
फिर इस बात पे हंगामा क्यों है बरपा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०६ - १० - २०१२
०९ - ३० am
( बेटे उज्जवल सुमित का जन्मदिन )
५३४
अरे भाई इतना हंगामा क्यों है बरपा
मैं हूँ वो दामाद जिसकी सास है खास
बिना कुछ किये दुनिया की है चौथी बड़ी हस्ती
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर क्यों बरपा
इस लोकतंत्र में जहाँ चारों ओर
जर्रे - जर्रे में भ्रष्टाचार ही बना जब शिष्टाचार
साहब के चपरासी को भी खुश कर
बनते जहाँ हैं बड़े - बड़े काम वहां मैं तो फिर भी हूँ सरकारी दामाद
जिधर फेड दूँ नजर वही हो जाये माला माल
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर क्यों बरपा
मैं नहीं हूँ कोई नेता या मंत्री
पर देखो ससुरों ने मेरे लिए
कितना गला फाड़ा की कितनी थेथरई
ना जाने दुनिया को क्यों लगी मिर्ची
उदारीकरण में इस निजीकरण में
सरकार है कितनी मेहरबान
जंगल जमीन वाले हैं मर रहे
मेरे जैसा दामाद बैठे - बैठे है मलाई मार रहा
फिर इस छोटी सी बात पे इतना कहर है क्यों बरपा
तुम लोगों के लिए मैंने हवा है छोड़ी
क्या यह कम है तेरे जीने के लिए
फिर इस बात पे हंगामा क्यों है बरपा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०६ - १० - २०१२
०९ - ३० am
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