मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

382 . ओ माँ

३८२ 
ओ माँ 
करुणामयी 
कल्याणमयी माँ 
तेरे कृपा बिना 
सुख है कहाँ 
ओ माँ 
बुद्धिहीन 
क्षुद्र कर्महीन 
उच्चाकांक्षाओं से 
भाग्य कहाँ ?
ओ माँ 
दो भक्ति 
भरो शक्ति 
नैया लगाकर पार 
दे दो मुक्ति 
हो जीवन सफल यहाँ 
ओ माँ 
शरणागत हूँ 
दे दो चरण धूल 
हो न फिर 
कोई भूल 
पाकर तेरा सहारा 
फिरूंगा न मारा - मारा 
पाउँगा अनंत विश्राम !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 

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