३८९
' मैं ' ' मैं ' नहीं हूँ
मैं विगत हूँ
मैं वर्तमान नहीं हूँ
मैं वो हूँ
स्वरुप मेरा जो खो गया है
नजर में जो आता हूँ
वो मैं नहीं हूँ
देखते हो जो तुम
तुम्हारी ही चढ़ाई हुई कलई है
तुमने तो बिसरा दिया है मुझे
मैं वो नहीं हूँ
जो देखते हो तुम मुझे
मेरे रूप का स्वरुप
तुमने अतीत में खो दिया है
तुमने तो अपने भरसक
भुला ही दिया है मुझे
मैं हूँ ही ऐसा
हर पल जो साथ रखता है तुझे
मुझ में मुझ का कोई सत्व नहीं
मैं तो वही हूँ
चिर निरंतर नित्य रूप सच्चिदानंद !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
' मैं ' ' मैं ' नहीं हूँ
मैं विगत हूँ
मैं वर्तमान नहीं हूँ
मैं वो हूँ
स्वरुप मेरा जो खो गया है
नजर में जो आता हूँ
वो मैं नहीं हूँ
देखते हो जो तुम
तुम्हारी ही चढ़ाई हुई कलई है
तुमने तो बिसरा दिया है मुझे
मैं वो नहीं हूँ
जो देखते हो तुम मुझे
मेरे रूप का स्वरुप
तुमने अतीत में खो दिया है
तुमने तो अपने भरसक
भुला ही दिया है मुझे
मैं हूँ ही ऐसा
हर पल जो साथ रखता है तुझे
मुझ में मुझ का कोई सत्व नहीं
मैं तो वही हूँ
चिर निरंतर नित्य रूप सच्चिदानंद !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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