ADHURI KAVITA SMRITI
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015
388 . करो कामना मौत की मेरी
३८८
करो कामना मौत की मेरी
मर कर भी जो काम आऊँ तेरे
निज जीवन भी न्योछावर करूँ
जो सुख पाये तूँ थोड़े !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें