391 . सता ले मुझको जी भर
३९१
सता ले मुझको जी भर
यही दया है तेरी मुझ पर
मैं अकिंचन दया का पात्र
तेरे करुणा का न बन सका पात्र
मैं जब था प्यार का भूखा
पाया तुझसे दुत्तकार और फटकार
मैं क्या मांगू तुझ से वर
दे - दे मुझको दे सके जितना कष्ट !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०२ - ०९ - १९८२
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