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ओ माँ
करुणामयी
कल्याणमयी माँ
तेरे कृपा बिना
सुख है कहाँ
ओ माँ
बुद्धिहीन
क्षुद्र कर्महीन
उच्चाकांक्षाओं से
भाग्य कहाँ ?
ओ माँ
दो भक्ति
भरो शक्ति
नैया लगाकर पार
दे दो मुक्ति
हो जीवन सफल यहाँ
ओ माँ
शरणागत हूँ
दे दो चरण धूल
हो न फिर
कोई भूल
पाकर तेरा सहारा
फिरूंगा न मारा - मारा
पाउँगा अनंत विश्राम !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
ओ माँ
करुणामयी
कल्याणमयी माँ
तेरे कृपा बिना
सुख है कहाँ
ओ माँ
बुद्धिहीन
क्षुद्र कर्महीन
उच्चाकांक्षाओं से
भाग्य कहाँ ?
ओ माँ
दो भक्ति
भरो शक्ति
नैया लगाकर पार
दे दो मुक्ति
हो जीवन सफल यहाँ
ओ माँ
शरणागत हूँ
दे दो चरण धूल
हो न फिर
कोई भूल
पाकर तेरा सहारा
फिरूंगा न मारा - मारा
पाउँगा अनंत विश्राम !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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