ADHURI KAVITA SMRITI
सोमवार, 2 फ़रवरी 2015
381 . अब उठ
३८१
अब उठ
चल बढ़
रुक मत
चल झट पट
डगर - डगर पर कहर
पर चल बढ़ सरपट
सबर - सबर कर
पर रुक मत बढ़ चल
पथ - पथ पर कंटक
जब - जब यह संकट
वह भगवन जब अग्रज
बढ़ चल करके रब का स्मरण
तेरे दर पे क्या गए हम
हर तरफ से दर बदर हो गए हम !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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