ADHURI KAVITA SMRITI
मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015
394 .तेरे उम्मीदों पे
३९४
तेरे उम्मीदों पे
नाउम्मीदी की छाप
हम न उभरने देंगे
मौत भी गर आ जाएगी
अफ़सोस लिए हम
खुद को न मरने देंगे
जिंदगी के जिस मोड़ पे भी
पीछे तुम मुङो
हम तो वहीं खड़े होंगे
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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