384 .लिखने वाले हैं ऐसे - ऐसे भी
३८४
लिखने वाले हैं ऐसे - ऐसे भी
लिख देंगे जैसे तैसे भी
पड़ जायेगा फीका महाकाव्य भी
फूल खिल के मुरझा जाते हैं
परवाने शमा से टकरा जाते हैं
लोग तो मुस्कुरा के हंसा करते हैं
आप मुस्कुरा के शरमा जाते हैं !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें