सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

393 . झुलसती सांसों ने

३९३ 
झुलसती सांसों ने 
बतलायी आशों को 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
रक्त का हर कतरा 
कराहते हुए कहा 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
चमन की प्यास ने 
कहा शाम में 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
अभिलाषा जब मिली निराशा से 
कहा उसने मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
यादों ने अपनी गांठें खोल 
कहा आज से 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
द्वार पे सजनी खड़ी थी 
आंसुओं से जिसकी पलकें भींगी थी 
बिछोह ने कहा 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष 
विश्वास ने प्रयासों के दीवार फांद 
कहा बेवफा से 
मंगलमय हो ये नूतन वर्ष !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 

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