ADHURI KAVITA SMRITI
बुधवार, 4 जनवरी 2017
653 . हे दयामयि होउ सहाय। लक्ष्मी स्वरूपा तोहें कमला माय।।
६५३
कमला
हे दयामयि होउ सहाय। लक्ष्मी स्वरूपा तोहें कमला माय।।
तुअ जल सभ जन भक्ति सौं नहाय। बिन श्रम सुखित सरगपुर जाय।।
निर्मल अमृत जल दर्शन पाय। नित दिन तिरहुति पाप नशाय।।
सत्वर करू देवि तेहन उपाय। शिवक चरण ' चन्द्र 'मन लपटाय।।
( चन्द्र रचनावली )
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