ADHURI KAVITA SMRITI
शनिवार, 14 जनवरी 2017
663 . भगवति तुअ पद पिंजर जान। वसत हमर मन हंस समान।।
६६३
भगवति तुअ पद पिंजर जान। वसत हमर मन हंस समान।।
तुअ पद कंज विनिन्दित कंज। मोर मन मधुकर वस अनुरंज।।
तुअ पद युग चिंतामणि तूल। मोर मन याचत भक्ति समूल।।
आदिनाथ कहि कहु परमान। आदि सनातन करू कल्याण।।
( तत्रैव )
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