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भगवति तुअ पद ललित मनोहर कमल युगल छवि छाजे।
चम्पकली अंगुलि अति सुन्दर नख दुति चन्द्र विराजे।।
एड़ी ललित इन्द्र वारुणि सम चारु फल सोभे।
कनक गुलाब रंग गुल्फ जुग शंकर - मानस लोभे।।
कामधेनु चिन्तामणि कल्पतरु पदमा सहित सुवासे।
आदिक सुर असुर जगत भरि निज जन पुरित आसे।।
अतुलित अन्त उपमति पद पंकज आदिनाथ धर ध्याने।
सुत सम्पत्ति सुख धन मंगल दै सतत करिये कल्याने।।
( तत्रैव )
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