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जय काली जय तारा भुवना , षोडसी मन भाबै।
धूमावति भजु बगला छिन्ना , भैरवी सुख पाबै।।
मातंगी भजु कमला माता , लक्ष्मीरूप कहाबै।
दुर्गा दुर्गति नाशिनी गिरिजा , चण्डी रूप जनाबै।।
चामुण्डा भजु कौशिकी दयानी , महामोह मेटि जाबै।
कामख्या भजु विंध्यवासिनी , ज्वालामुखि जग भावै।।
गुह्यकालि मीनाक्षी विमला , मंगल गौरि देखाबै।
राजेश्वरि सिद्धेश्वरि सीता , गंगा गंडकि राबै।।
कौशिकि कमला बाग्वति भजिले , चिरंजीव द्विज गावै।।
चिरञ्जीव ( तत्रैव )
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