शनिवार, 28 जनवरी 2017

671 . हे बगलामुखि शत्रु नाश करू निज जन पालिनि देवी।


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हे बगलामुखि शत्रु नाश करू निज जन पालिनि देवी। 
अमृतसिन्धु बिच मणिमण्डप पर रत्नसिंहसान सेवी।।
ता पर तुअ पद अनउपमित छवि शोभित अति भयहारी।
पीताम्बर भूषण अनुलेपन पीत कुसुममय हारी।।
अतिशय असित चिकुरचय फूजल युगललोचन जनि कंजे। 
रिपुक वसन कर वाम सओ  पीड़ित दहिन गदा भय भंजे।
युगल भुजा तन कनकवरन दुति कुण्डल ललित कपाले। 
आदिनाथ पर कृपायुक्त भय दिअ फल चारि अतूले।। 

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