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दुर्गा
दुर्गा लेखा दय दय तोर।
तीनि तीनि कय दय दय दुर्गा , लेखा दय दय तोर।
नन्द तेरो तात यशोदा , गुरुजन तेरो भ्राता।
और पद छाड़ि तुअ पद सेविय , ताकर ऊपर मोती।
अंग - अंग जे ज्योति विराजय , सोती मोती मोती।।
कुण्डल डोलय बेसरि लोलय , कटि किंकिणियाँ बोलय। दत्त नरसिंह भवानी तेरो , डोलय लोलय बोलय।।
नरसिंहदत्त ( तत्रैव )
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