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पहिरन वसन अरुण अति अभिनव बाल सुधाकर भाले।
उदित दिवाकर तनु दुति सुषमा लोचन तीनि विशाले।।
सुन्दर अक्षतमाल अभयवर शोभित भुज पुनि चारि।
अरुण कमल ऊपर तुअ पदयुग सुमिरत लह फल चारि।।
वेद पुरान भेद नहि पावत ब्रह्मादिक धर ध्याने।
जपत नाम तुअ पुरत मनोरथ अनुछन बाढ़त ज्ञाने।।
आदिनाथ के दहिनि भए रहु निशिदिन त्रिपुरा बाले।
सुत यश सुख धन चारि पदारथ मंगल दय सभ काले।।
( तत्रैव )
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