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काली तारिणि त्रिपुरसुन्दरी भुवनेशी जगमाया।
भैरवि देवि प्रचण्ड चण्डिका धूमावति करू दाया।।
बगलामुखि मातङ्गिनि कमला निशदिन करू प्रतिपाले।
भक्ति अचल जस सुत धन मङ्गल दय अभिनव सुख जाले।।
मुदित रहय नित बिसरि दोष सभ अनुछन पुरु अभिलाखे।
जगत जननि जगबाहर हम नहि कि कहु हम दुख लाखे।।
तुअ पद प्रबल सुमिरन कै नित रहलहुँ तोहरे भरोसे।
आदिनाथ पर कृपा करिये दाहिन रहु तजि दोसे।।
( तत्रैव )
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