ADHURI KAVITA SMRITI
रविवार, 2 अप्रैल 2017
723 . समदाउनि --------- अकथ तत्व तुअ तारिणि अम्बे महिमा अगम अपार।
७२३
समदाउनि
अकथ तत्व तुअ तारिणि अम्बे महिमा अगम अपार।
पुरुष शरीर मनुज तनु धयलहु राम विदित संसार।।
अनुपम श्याम अङ्ग सम सुन्दर नयन युगल रतनार।।मर्यादा गुण सकल विहित विधि जग व्यवहार प्रचार।।
धन्य धन्य ' गणनाथ ' भेल लखि लखि छवि गुणसार।।
गणनाथ
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