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अनेक अपराध होए हमरा , क्षमह जगत मात।
किछु सेवा कएल मोए , नित नित करह सुदिठि पात।।
करुणा ते सुनि हमर विनिति पुरह तोहे भवानी।
चारि पदारथ मागल मोए तोहे से देह सेवक जानि।।
अउर कि विनति करब हम तोह ई सब तोहहि जान।
पद युग धरि कह प्रकाश नृप सरण नहि मोर आन।
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