ADHURI KAVITA SMRITI
मंगलवार, 4 अप्रैल 2017
725 . शंकरि त्रिभुवन जननि शुभंकरि , करुणामय पर शिवनारी।
७२५
शंकरि त्रिभुवन जननि शुभंकरि , करुणामय पर शिवनारी।
विश्वम्भर करुणाकर शङ्कर , उमाकान्त हर त्रिपुरारी।।
तुअ चरनन सेवारत अनुखन , काशीवास शरणसारी।
सोमनाथ गणनाथ विनय कर , पुरहु आस कुमतिन टारी।।
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