ADHURI KAVITA SMRITI
सोमवार, 24 अप्रैल 2017
743 . नहि आन गति हमरा माता।।
७४३
नहि आन गति हमरा माता।।
मोने मन वचन कएल तुअ सेवा। करुणा कर कुल देवा।।
मोर अपराध क्षमह तोहे माता। मोर रिपु का कर घाता।।
एहे संसार तोहे देवि सिरिजर। तोहहि देह अभयवर।।
करे जोरि विनति कर प्रकाश। पुराबधु मोर आश।
।
जगतप्रकाशमल्ल ( प्रभावती हरण )
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