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आब करू जनुदेरि हे मैया , मैथिल दिशि हेरु।।
जनिके सम्पत्ति आन दुहै अछि , अपने बन्हल मनु नेरु।
मिथिला काम धेनु पय वञ्चित , छिन्न मलीन दुख भेरू।।
' लोचन ' मान बचाबथि कोन विधि , उद्दम चढथि सुमेरु।
करुणामयि जननी अपने छी , नाम ककर हम टेरू।।
( मिथिला मोद )
आब करू जनुदेरि हे मैया , मैथिल दिशि हेरु।।
जनिके सम्पत्ति आन दुहै अछि , अपने बन्हल मनु नेरु।
मिथिला काम धेनु पय वञ्चित , छिन्न मलीन दुख भेरू।।
' लोचन ' मान बचाबथि कोन विधि , उद्दम चढथि सुमेरु।
करुणामयि जननी अपने छी , नाम ककर हम टेरू।।
( मिथिला मोद )
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